सहनशीलता – Arab Desh ki Hindi Kahani
अरब देश की घटना है यह। हज़रत मुहम्मद साहब जिस रास्ते से सैर करने के लिए निकला करते थे, उस रास्ते पर अज़मत नाम की एक महिला का घर था। अज़मत यहूदी-धर्म को मानती थी और इसलाम-धर्म से चिढ़ती थी। (Arab Desh ki Hindi Kahani)
मुहम्मद साहब ने इसलाम-धर्म की नींव डाली थी; इसलिए अज़मत उनसे खार खाये बैठी थी। मुहम्मद साहब जब भी उसके घर के सामने से निकलते, वह उन पर कूड़ा-कचरा फेंक देती थी। मुहम्मद साहब कुछ न कहते थे, चुपचाप आगे बढ़ जाते थे।
एक दिन मुहम्मद साहब को पता चला कि अज़मत बीमार पड़ गयी है। जब तक वह बीमार रही, मुहम्मद साहब उसके घर जा कर उसकी देखभाल करते रहे। जब वह अच्छी हो गयी, तब एक दिन मुहम्मद साहब हँस कर बोले-“अब तो तुम अच्छी हो गयी हो। कल से तुम मुझ पर कूड़ा-कचरा फेंकना शुरू कर दोगी न?”
अज़मत पर घड़ों पानी पड़ गया। उसने मुहम्मद साहब को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। दसरी ओर. महम्मद साहब ने उसकी सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। वह रो कर कहने लगी- “मुझे माफ़ कर दीजिए।”
मुहम्मद साहब ने कहा- “माफ़ करने वाला बस एक खुदा है।” यह थी मुहम्मद साहब की सहनशीलता।
सहनशीलता का अर्थ है – दूसरों से मिले अपमान, चोट, कष्ट आदि को हम सहन करें; प्रतिशोध (बदला) न लें। प्रतिशोध लेने म हमारी जीवनी-शक्ति नष्ट हो जाती है। इस शक्ति को नष्ट होने से बचा लेने से हमें बल प्राप्त होता है। दूसरी ओर बुराई करने वाला बुराई करके इस शक्ति को खो देता है। इस प्रकार बुराई करने वाला निर्बल बनता है।
और सहनशील व्यक्ति सबल बनता है। सहनशील व्यक्ति की वाणी और कार्यों में इतनी शक्ति होती है कि वह बुराई करने वाले का हृदय परिवर्तित करके उसे भी अपने समान सबल बना लेता है।
दोस्तों, आप यह Article Prernadayak पर पढ़ रहे है. कृपया पसंद आने पर Share, Like and Comment अवश्य करे, धन्यवाद!!