भगवान से ही माँगो – Bhagwan ki Kahani
एक गरीब किसान एक बादशाह से मिलने उसके महल में पहुँचा। बादशाह ने उसे देखते ही पहचान लिया। इस किसान ने कभी संकट के समय बादशाह की सहायता की थी। उसे मान-सम्मान देने के लिए बादशाह ने उसे अपने कमरे में ही सुलाया। सुबह-सुबह किसान की आँख खुली, तो उसने देखा कि घुटने टेके हुए, हाथ फैला कर बादशाह किसी से कुछ माँग रहा है। (Bhagwan ki Kahani)
किसान ने पूछा- “यह क्या कर रहे हैं आप?”
बादशाह ने कहा- “दुआएँ माँग रहा हूँ।”
किसान ने फिर पूछा- “किससे?”
बादशाह बोला- “अल्लाह से।”
किसान अपनी गठरी-लाठी उठा कर चलने लगा।
बादशाह बोला- “कहाँ चले भाई? किस लिए आये थे, यह भी नहीं बताया।”
किसान ने कहा- “कुछ माँगने आया था, लेकिन यहाँ आ कर पता चला कि बादशाह को भी किसी दूसरे से माँगना पड़ता है। सोचता हूँ, यदि माँगना ही है, तो मैं भी उसी से माँग लूँगा जिसके सामने आप भी हाथ फैलाते हैं।”
बात कितनी सच है! यदि माँगना ही है तो भगवान से ही माँगना चाहिए; इनसानों से क्या माँगना! यदि इनसानों से माँगना ही पड़े तो यह, समझ कर माँगना चाहिए कि जब भगवान् उन्हें हमारी सहायता करने के लिए प्रेरित करेंगे, तभी हमें माँगी हुई वस्तु मिल पायेगी।
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