तब वह इंसान न रहता – Fakeer ki Hindi Kahani
एक फकीर था। वह एक छोटी-सी कोठरी में रहता था। उसने इतनी जगह थी कि एक आदमी किसी तरह अपना पैर फैला कर सके। (Fakeer ki Hindi Kahani)
एक रात की बात है। बाहर जोरों से पानी बरस रहा था। किसी। दरवाजा खटखटाया और कहा- “मैं भीग रहा हूँ। क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ?”
फकीर ने कहा- “आ जाओ। यहाँ एक सो सकता है। लेकिन दो तो बैठ ही सकते हैं।” थोड़ी देर बाद वर्षा से बचने के लिए किसी दूसरे ने दरवाजा खटखटाया। फकीर ने बहुत प्रेम से कहा- “आ जाओ। यहाँ दो बैठ सकते हैं; लेकिन तीन आसानी से खड़े रह सकते हैं।’
कुछ देर बाद एक गधा आया। पानी से भीग कर वह थर-थर काँप रहा था। फकीर ने उसके लिए भी दरवाजा खोल दिया। साथ के लोगों ने कहा-“यहाँ जगह ही कहाँ है?”
फकीर ने कहा- “हमारे हृदय में प्रेम हो, तो प्रेम कहीं-न-कहीं जगह बना ही देगा। इस कोठरी में प्रेम की तरंगे उठ रही हैं। प्रेम में गधे के साथ भी इनसान की तरह व्यवहार किया जाता है।”
यह कह कर उसने गधे को कोठरी के अन्दर कर लिया और स्वयं एक पेड़ के नीचे रात बितायी।
यदि फकीर के हृदय में प्रेम न होता, तो वह गधे को भगा देता और आये हुए लोगों से कहता-जाओ, खोजो कोई दूसरी जगह। लेकिन, तब वह इनसान न रहता। इनसान बनने के लिए दसरों से प्रेम करना ज़रूरी है।
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