राँका और बाँका – Pati Patni ki Kahani
राँका और बाँका पति-पत्नी थे। परम भक्त थे—धन-सम्पत्ति से कोई मोह नहीं था। (Pati Patni ki Kahani)
एक दिन दोनों कहीं जा रहे थे। राँका आगे था। बाँका पीछे थी। रास्ते में राँका को सोने का एक टुकड़ा दिखायी पड़ा। उसने सोचा–पीछे बाँका आती होगी। सोने को देख कर कहीं उसका मन ललचा न जाये। वह झुक कर सोने को मिट्टी से दबाने लगा। तभी बाँका आ गयी और पूछने लगी- “यह क्या कर रहे हो?”
“कुछ नहीं, कुछ नहीं’–कह कर पहले तो राँका ने बात छिपानी चाही, परन्तु बाँका के बार-बार पूछने पर उसे पूरी बात बतानी पड़ी।
बाँका हँसते हुए बोली- “अरे, यह क्या कर बैठे तुम! मिट्टी से मिट्टी को ढक दिया। इससे क्या लाभ हुआ भला? अरे, वह सोना भी तो मिट्टी ही है। फिर मिट्टी देख कर मुझे लालच क्यों लगता?” रास्ते में धन-दौलत पड़ी हो और उसका मालिक पास में न हो, तो बिरला ही कोई होगा, जिसके मन में लालच न आये।
राँका ने इस लालच पर काबू पाया। लेकिन, बाँका तो राँका से भी बढ़ कर निकली। राँका ने सोने को सोना माना था। बाँका ने सोने को मिट्टी मान लिया।
पराय धन को धन मान कर उसका त्याग करना अच्छी बात है। परन्तु ऐसे धन को मिट्टी समझ कर त्याग करना उससे भी अच्छी बात है।
दोस्तों, आप यह Article Prernadayak पर पढ़ रहे है. कृपया पसंद आने पर Share, Like and Comment अवश्य करे, धन्यवाद!!
Modi Ji इतनी लंबी लंबी कैसे फेक लेते है ? – Narendra Modi Fun Facts