Sai Baba ke 10 Anmol Vachan | साईं बाबा के 10 अनमोल वचन
- श्रद्धा रख सब्र (patience) से काम ले ईश्वर (ishwar) भला करेगा।
- अगर मेरा (my) भक्त गिरने वाला होता है तो मैं अपने हाथ (hand) बढ़ाकर उसे सहारा देता हूँ।
- अगर कोई अपना पूरा समय (full time) मुझमें लगाता है और मेरी शरण में आता है तो उसे अपने शरीर या आत्मा (body or soul) के लिए कोई भय नहीं होना चाहिए।
- मैं किसी पर क्रोधित (angry) नहीं होता, क्या माँ अपने बच्चों (children) से नाराज हो सकती है? क्या समुद्र अपना जल वापस नदियों (sea) में भेज सकता है?
- अपने गुरु (teacher) में पूर्ण रूप से विश्वास (trust) करें, यही साधना है।
- साईं (sai) नाम में सब देव समाए, जो जिस रूप में साईं (sai) को ध्यावे, साईं उस रूप में दर्श दिखावे, जैसा भाव (behavior) रहा जिस जन का, वैसा रूप (same look) हुआ मेरे मन का।
- जिस तरह कीड़ा कपडे (cloth) को कुतरता है, उसी तरह ईर्ष्या मनुष्य (human) को।
- क्रोध (anger) मुर्खता से शुरू होता है पर पश्च्याताप पर खत्म (finish) होता है।
- मैं निराकार हूँ और सर्वत्र (everything) हूँ।
- साई (sai) नहीं कहते मुझे चांदी या सोने (gold or silver) के सिंघासन पर बिठाओ, वो तो कहते हैं मन (thoughts) में श्रद्धा सबुरी रखो फिर अपने साईं (sai) को बुलाओ।
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